प्रेम फरवरी
तेरे नाम के पहले अक्षर से दिलबर ,।
निकलती है मेरी कलम से इश्के गज़ल ।।
कल मेरा प्यार तेरी याद में लिखने बैठा ,
कागज़ पर लिख लिख नाम बस गई फिसल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
कई बार संभाला हाथों को.. !
संभाली कलम , तड़फ उठा दर्दे दिल !
खुद नहीं पाई संभल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
छुपाना चाहा दर्दे-गम बहुत दिल में ,करुं क्या ..!
सुर्ख होंठों से जाती है निकल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
धड़कते दिल को खुद " शान " ही समझाते हैं ,
मेरे रहबर यूं नाहक तू ना - मचल ना मचल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
लिखकर सुनाई जो पैमाना- ऐ- महफ़िल में ,
आई पसंद उनको भी तेरे नाम की गज़ल ।।
तेरे नाम के पहले अक्षर से दिलबर ,
निकलती है मेरी कलम से इश्के गजल ।।
संतोष शर्मा " शान "
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