तेरे नाम- संतोष शर्मा शान

प्रेम फरवरी


तेरे नाम के पहले अक्षर से‌   दिलबर ,।


निकलती है मेरी कलम से इश्के‌‌ गज़ल ।।
कल मेरा प्यार ‌तेरी  याद में ‌लिखने बैठा ,‌


कागज़ पर लिख लिख नाम बस ग‌ई  फिसल ।।
मेरी कलम से इश्के  गजल
कई  बार संभाला हाथों को..  !


संभाली कलम , तड़फ उठा दर्दे दिल !


खुद नहीं पाई संभल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
छुपाना चाहा दर्दे-गम बहुत दिल में ,करुं क्या ‌..!


सुर्ख होंठों से जाती है निकल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
धड़कते दिल को खुद " शान " ही समझाते हैं ,


मेरे रहबर यूं नाहक तू  ना - मचल  ना ‌मचल ।।
मेरी कलम से इश्के गजल
लिखकर सुनाई जो पैमाना- ऐ‌‌- महफ़िल में ,


आई पसंद उनको भी तेरे नाम की गज़ल ।।
तेरे नाम के पहले अक्षर से दिलबर ,‌


निकलती है मेरी कलम से इश्के गजल ।।


संतोष शर्मा " शान "


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