तो पत्थर रोया - शालिनी शर्मा

प्रेम फरवरी


गीत लिखा और  दर्द पिरोया
फिर अंसुअन से उसे भिगोया
गीत पढ़ा और जिसे सुनाया
 सुना हमें  तो पत्थर रोया
  कलम उठायी और लिख ड़ाले
  जो भी मन में भाव थे आये
  सुना किसी ने जब भी  उनको
  नही समझ में हम कुछ आये
  हमने वो पढ़ दिया जो सच था
    वो पाया है था जो बोया
   हमें सुना------------     
     आँखों से निर्झर बहता है
     दर्द का दरिया नही रूका है
     पीड़ायें तो झेली अनगित
     पर ये मन ना कहीं झुका है
     सिर्फ अकेले अब चलना है
     साथ साथियों का है खोया 
हमें सुना--------
   मन शब्दो का एक समुन्दर
   सुन्दर मोती  बीन रहे हैं
   आसमान में उड़ना जिनको
   ख्वाब सभी वो छीन रहे हैं
   कटे पंख को देख हृदय से
   पीर उठी और दिल है रोया
     हमें सुना------- 
 मन की कापी पर विचार की 
 कमल चलाई लिखा बहुत कुछ
सच लिखते क्या वो तो कम था
झूंठ,कपट पर दिखा बहुत कुछ
नही दाग कम हो पाया है
 जमकर रगड़ा और है धोया
हमें सुना-----
                    शालिनी शर्मा
                   गाजियाबाद उ


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