तु  न आएगा  फिर  इस  साल-नीलम

होली विशेष - 20


मइया   पूछ   रही   है   सवाल,  दुलारे   से  होली   में।
तु  न आएगा  फिर  इस  साल ,ओ लाल  मेरे होली में।


घर  पर आए बरसों  बीते,तुझ बिन आँगन द्वार हैं रीते।
आता  त्योहारों  का  मौसम,तन्हा-तन्हा  रह जाते  हम ।  
कैसे   दीपावली   मनाएँ, छत  पर दीपक कौन सजाए।
डाला सिर पर कौन उठाए ,छठ का अरघा कौन दिलाए।


आए  हर  पल तेरा  ही  खयाल, ओ  लाल मेरे  होली में।
मइया  पूछ  रही है सवाल----------------------------।


खिंचड़ी मन को नहीं सुहाती, लाई तिलकुट  नहीं बनाती ।
छत  पर  बाल  पतंग  उड़ाते, पल-पल तेरी  याद दिलाते।
पूजा  सरस्वती  की  आती ,प्रतिमा  घर-घर  रखी  जाती।
सारा  गली  मुहल्ला  सजता , मेरा  घर  सूना  रह  जाता ।


ऐसे  बीत  गए  कई  साल ,  ओ  लाल   मेरे   होली   में ।
मइया  पूछ  रही  है  सवाल---------------------------।


देखूँ  जब  बच्चों  की  टोली, आए   याद  पुरानी  होली ।
तेरा   रंग  गुलाल  उड़ाना ,  हँसना , गाना  धूप  मचाना ।
होली  में  आने का वादा ,रह जाता  हर  साल  है आधा ।
किसकी  खातिर  रंग मँगाऊँ ,क्या पूड़ी पकवान बनाऊँ।


अब  न मचता है  घर  में धमाल,ओ  लाल  मेरे होली में।
मइया  पूछ  रही है  सवाल --------------------------------।


होती दिन-दिन जर्जर काया ,जाती फिर भी नहीं है माया।
तेरी  राह  निरंतर  तकतीं , बूढ़ी  आँखें  नहीं   हैं  थकतीं।
कैसे  मन  को भला  मनाऊँ,ममता  को  कैसे  समझाऊँ।
तेरा  परदेसी   हो  जाना  , अपना   होकर   भी  बेगाना ।


देता  मन  को बड़ा  ही  मलाल ,ओ  लाल  मेरे  होली में।
मइया  पूछ  रही  है  सवाल --------------------------------।


श्रीमती नीलम श्रीवास्‍तव, शिक्षिका गोपालगंज बिहार


05 अप्रैल 2020 को महिला उत्‍थान दिवस पर आयो‍जित
कवयित्री सम्‍मेलन, फैंशन शो व सम्‍मान समारोह में आपको 
सादर आमंत्रित करते हैं।


शार्ट फिल्‍म व माडलिंग के इच्‍छुक सम्‍पर्क करें 7068990410


 




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ