तुझे नहीं भूल-अनुरंजन कुमार "अंचल"

प्रेम फरवरी


तेरी याद मुझे सताती है ,मेरी याद तुझे सताती है
नहीं तेरे दिल से नहीं मेरे दिल से आवाज आती है
हम सब एक - दूसरे को पागल जैसे याद करते हैं
मैं तुझे नहीं भूल पाती हूं,तू मुझे क्यों भूल जाती है


तेरी मोहब्बत में  मरने से नया पहचान मिलती है
तुझ पर मरने वाली वो धड़कन को जान मिलती है
तेरी शायरी लिखती हूं, लोगों मुझे बदनाम करते हैं
तेरी आंखों में बसने से मुझे एक मुस्कान मिलती है


तुझ से जब नज़र मिली  तभी से मैं प्यार करता हूं,
तेरी खिड़की के पास से मैं सदा इंतज़ार करता हूं,
मैं तेरे ख़्वाब में आता हूं, तू मेरे ख़्वाब में आता है।
तेरी मोहब्बत में मरने का मैं सदा इकरार करता हूं।


तू मेरी जान बनी है तेरे बगैर मैं जी नहीं सकता
हक़ीक़त बेवफाई की दर्द कभी मैं पी नहीं सकता
मेरा इश्क़ को देखकर दुनियां को नफ़रत आते हैं
तेरे लिए मैं अपने दीवानापन को सी नहीं सकता।


    अनुरंजन कुमार "अंचल"
       अररिया, बिहार
     


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ