उद्धार - माधवी चौधरी

मन के विवाह की बातें अब हर जुबान पर थी। किसी गरीब और कम पढी - लिखी लड़की का उद्धार करने के लिए घर भर के लोग व्यग्र थे। नमिता बहुत खामोशी और बेचैनी से सारी बातें सुनती, घर के काम निपटाने में लगी रहती। वह समझ चुकी थी कि कुछ ही समय में उसको इस घर को अलविदा कहना ही होगा। मन कड़वाहट से भर गया।  बेशक माँ - बाबूजी तथा परिवार के अन्य सदस्य कुछ नहीं जानते लेकिन अमन.......? वह क्यों नहीं विवाह के लिए इंकार कर रहा है??
सर फटने लगा उसका.... उफ्फ.... क्या करूँ.... अनिर्णय की स्थिति में नमिता ने अपनी बहन रूबी को फोन लगाया। रूबी उसकी जुड़वा बहन... साथ पली.... पढी... विवाह भी एक ही दिन। रूबी की एक प्यारी सी बिटिया थी  डेढ़ साल की.... उसको याद कर नमिता अनायास मुस्करा उठी..... हलो..... हलो.... दी बोलो.... रूबी का स्वर सुन चौकी वह।
हाँ रूबी.... आज वह भावुक हो उठी.... चार वर्षों की बातें मानों कुछ पल में बता दिया.... आँसुओं और दर्द भरी सिसकियों ने... और रूबी  विचलित हो उठी.... दी अब तक अकेली इतना बड़ा दंश झेल रही थीं। मुझे बताया क्यों नहीं..... अब सुनो....
जो कहती हूँ करो.... हद होती है बर्दाश्त की भी। पांच मिनट छोटी रूबी ने उसे जीवन कटु सच्चाई से परिचित कराते हुए रास्ता भी बताया।
पूरे दिन नमिता सोचती रही...  उसका हृदय रूबी की बात मानने की गवाही नहीं दे रहा था। रूबी ने जितना आगा पीछा समझाया... सब कुछ ठीक है लेकिन..... नहीं... नहीं... उसने सोचा नहीं वह ऐसा हरगिज नही करेगी। 
सारे काम निपटा कर जब वह विश्राम के लिए आई तो देखा अमन के हाथ छाती पर थे और वह गहरी नींद में था। उसने आहिस्ता से उसका हाथ छाती पर से हटाया कि कुछ गिरा। नमिता ने देखा कि एक पासपोर्ट साइज का फोटो था... लड़की का...सुलग उठी वह सौतिया डाह से।
पूरे दिन के मंथन के बाद उसने जो निर्णय लिया था वह एक क्षण में ढह गया। अब वह कुछ भी करने के लिए तैयार है... कुछ भी आँगन में महिलाएँ मंगल गीत गा रही थीं कि नमिता को जोर की उबकाई आई। सबकी आँखों में प्रश्न कौंधा। थोड़ी देर में नमिता हाँफती  सी लौटी और झुंड में आ बैठी। कुछ महिलाओं ने कुछेक सवाल पूछे और मानों उसे सर्टिफिकेट दे दिया।
मंगल गीत के बाद जब अपने अपने घर जाने लगी तो एकाध सवाल भी हवा में तैरते रहे।
सास यमुना देवी की आँखें क्रोध से जल रही थीं। सबके जाते ही फुंफकार उठी, " बता कलमुही  यह बच्चा किसका है?
विद्रुप हँसी के साथ नमिता ने कहा, ' माँ जी अभी आपने अपने बेटे का दूसरा विवाह नहीं किया है... इसलिए यह प्रश्न बेमानी है।'
यमुना देवी गुर्राई... रामायण मत बांच... बता किसका पाप ढो रही है.... मैं जानती हूं कि यह बच्चा अमन का नहीं है।
क्योंकि अमन और नमिता ढह सी गई। इसका मतलब सबको पता है। फिर भी एक और जीवन बर्बाद करने के लिए पूरा परिवार तत्पर है।


माधवी चौधरी   भागलपुर      बिहार 812002


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