छन्न पकैया छन्न पकैया -शुचि 'भवि'

होली विशेष - 6


ग्रामीण इलाकों में  गाया जाने वाला छन्न पकैया छंद जो अब विलुप्ति की कगार पर है


छन्न पकैया छन्न पकैया , होली फिर से आई
छूकर अपने गालों को फिर, भवि भी है शरमाई 
 
छन्न पकैया छन्न पकैया, रंग प्यार का आला
गूंगा बोले लैला लैला, अंधा फेके भाला 
 
छन्न पकैया छन्न पकैया, होली बड़ी निराली
जीजाजी की मस्ती देखो, जब जब मिलती साली
 
छन्न पकैया छन्न पकैया, घर घर भांग का घोटा
माइकल जैक्सन बन जाता है, इसको पीकर मोटा   
 
छन्न पकैया छन्न पकैया, रंगों की बौछारें
फागुन में ये मुमकिन कैसे, दिल कोई ना  हारे
 
छन्न पकैया छन्न पकैया , सारे बंधन तोड़ो
कान्हा से अब बोली राधा, मुझको तुम ना छोड़ो


छन्न पकैया छन्न पकैया , होगी छेड़ा छाड़ी
चनिया चोली के संग भीगी, देखो पूरी साड़ी 


छन्न पकैया छन्न पकैया, दिल दिमाग़ पर हावी
होली खेलें हम सब ऐसी, सीखे पीढ़ी भावी



शुचि 'भवि'
भिलाई, छत्तीसगढ़


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