ज़िंदगी का सफ़र - इंदु उपाध्याय

प्रेेम फरवरी


तेरे तसव्वुर में ज़िंदगी का सफ़र...! 
जैसे फूलों पर कदम रखती चली जाती हूँ मै...!! 
देखती हूँ जब ज़िंदगी तुझको एक नजर...! 
प्यार की राहों में बढ़ती चली जाती हूँ मै...!! 
देखते हो जब तुम मुझको एक नजर...! 
तुम्हारी पनाहों में बिछती चली जाती हूँ मै...!! 
तुझ पर समर्पित ये ज़िंदगी है मेरी...! 
तेरे बगैर ज़िंदगी में कुछ भी नहीं हूं मैं...!! 
हर पल के लिए तेरी ये ज़िंदगी मेरी...! 
सारी उम्र मै अब तुम पर निसार दूँ मैं...!!
तन मन की बात तुझसे अब क्या कहूँ मैं..!
रूह से रूह तक के सफ़र को करार दूँ मैं...!!
इंदु उपाध्याय
शिक्षिका- हिन्दी विभाग
समााा


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