निर्भया तुम मरी नहीं हो, अपितु हो गयी हो अमर
आत्मिक मृत्यु के विना, कोई कैसे सकता है मर
माँ के साथ मिलकर तुम्ही ने दिलाया है दोषियों को दण्ड
अपनी माँ के उर में तुम्हीं राज करती हो अखण्ड
आज का दिन है, कितना पावन
आज एक बार पुनः बधा गया है रावण
16 दिसम्बर 2012 की वह काली रात
जब व्यक्तिगत बस से वह जा रही थी मित्र के साथ
इन अपावन राक्षसों ने ऐसा किया दुराचार
जिससे मानवता हुई तार-तार
बेटी ने बहुत हाथ जोड़ा, रोया, चिल्लाया
अपनी रक्षा हेतु उन दरिंदों से बहुत गिड़गिड़ाया
किन्तु वे पाँचों नहीं थे मानव
वे थे अत्यंत क्रूर दानव
अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ते -लड़ते
बेटी की आत्मा चली गई देह छोड़ के
आज 7 वर्ष 3 माह 3 दिन बाद
माँ आशा देवी की बीती है काली रात
हमारी न्याय व्यवस्था कभी न होगी कलंकित
सर्वदा पापियों, आततायियों को करेगी दण्डित
डाॅ. उषा कनक पाठक
मिर्जापुर उ.प्र.
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