देहरी पर बैठ तेरा
इंतजार करना
हर आहट पर
तेरी आहट महसूस करना
आखिर कब तक
सो गयी है हर गली
मुहल्ला सूना पड़ा
हैं रस्ता
पर हूँ मैं
देहरी पर अपलक
निहारती
आखिर कब तक ?
ये काजल टीका
ये बिंदी ,बाजुबंद ,चूड़ियाँ
सब चुप है
आखिर कब तक
तेरा इंतजार करुँ
आखिर कब तक??
राजकांता राज पटना बिहार
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