अम्मा-भारती जैन

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष


 


अम्माँ तो अम्माँ ही ठहरी।
सबसे ऊँची ,सबसे गहरी।।


मिला न उनका कोई सानी,
कौन ,कहाँ उनसा श्रम दानी।
संस्कारों की पहली शाळा,
सबसे आला,जानी-मानी।।
रही नियंत्रक, जीवन की वह,सच्ची हितकर, सच्ची प्रहरी।
अम्माँ तो अम्माँ ही ठहरी,सबसे ऊँची सबसे गहरी।।


मिली सफलता जब जब हमको,
भूल गयी वह अपने गम को ।
रही ख़ुशी में अश्रु बहाती ,
सहज निभाती हर मौसम को।।
बच्चों  को मंजिल देने में ,कभी न देखी धूप- दुपहरी।
अम्माँ तो अम्माँ ही ठहरी,सबसे ऊँची सबसे गहरी।।


 


कभी न कोई सुन पाया कुछ,
कहाँ कभी कुछ वो कह पाई।
उमर बितादी करते करते,
उधड़े रिश्तों की तुरपाई ।।
अमल,अखण्डित प्यार बाँटती,उसकी सबसे अलग कचहरी।
अम्माँ तो अम्माँ ही ठहरी,सबसे ऊँची सबसे गहरी।।


 


लिए पनीली आँखों में ही,
कुछ सवाल बस ठहरे -ठहरे।
अपने सपनों को हँस कहती,
ऐरे-गैरे, नत्थू- खैरे।।
लड़ती रही धूप से हरदम, कभी न पायी साँझ सुनहरी ।
अम्माँ तो अम्माँ ही ठहरी, सबसे ऊँची सबसे गहरी।।


भारती जैन दिव्यांशी
114,c ब्लॉक,श्रीनाथ अपार्टमेंट,
मुन्नालाल की जीन, मुरैना टॉकीज के पास,
मुरैना( म.प्र.)
476001



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