अनकहे अरमान-शिवानी

 


यूँ पलकें झुकाकर न बैठा करिए
जनाब!
बिन आंखों में देखे इस दरिया
में डूब जाएंगे |
सैलाब भी है,तूफान भी है,
मचलते दिल में मेरे कई अरमान भी हैं |
कभी नज़र मिल गई इत्तेफाक़ से,
इस प्यार के सागर में खो जायेंगे |
यूँ पलकें झुकाकर......


अफसोस भी है,इंतजार भी है,
तड़पते दिल में मेरे कई ख़्वाब भी हैं |
कभी हकीकत जो बन गए
इत्तेफ़ाक से,
हम सिर्फ आपके हो जाएंगे |
यूँ पलकें झुकाकर.....


बिखरे भी हैं,निखरे भी हैं,
दिल में मेरे कई राज गहरे भी हैं |
कभी बयाँ जो हो गए इत्तेफा़क से, 
हम तेरे लिए फिर से जी जाएंगे |


यूँ पलकें झुका कर ना बैठा करिए जनाब!
बिना आंखों में देखे, इस दरिया में
डूब जाएंगे। 
हम मिले या ना मिले तेरे हो जायेंगे।


         *शिवानी त्रिपाठी* 
         *मीरापुर,प्रयागराज*


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