अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
अपने ललाट पर लिखी
अलौकिक भाग्य रेखाओं को
पढ़ना तो चाहिती हूं...
हालांकि ...निश्चिंत हूं
अन्धकार से
लड़ना भी जानती हूं मैं ।।
गिरेबान में झांकते हैं
लोग दूसरों के
पर सच तो यह है कि
अपना भूत वर्तमान और भविष्य
पढ़ना भी जानती हूं मैं।।
मुस्कराहट लिए लोग
चेहरे के भावों को
छिपा नहीं पाते
बड़ी हैरान हूं
उनके दिल में छिपे
जज़्बात भी जानती हूं मैं।
जाने क्यूं
छीनने झपटने का
इक दौर सा चल पड़ा
कर्मों का फल ही गीता का ज्ञान है
जन्म जन्मांतरों का लेखा-जोखा
है यह भी मानती हूं मैं।।
सीमा चौहान बदायूं
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
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