अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
औरत कोई सामान नही
ये सृजन की अधिकारी है।
पहचान दिलाती है जग में ये कुदरत की फुलवारी हैं
त्याग ,समर्पण और लज्जा में
अपने आप निराली हैं
पर अपने सुहाग की खातिर यमराज से लड़ जाती है
सीता जैसी सुन्दर सीरत
ओ जगत जननी कहलाती हैं
पर अपने चरित्र लांछन पर धरती में समा जाती हैं
मायका में ओ जनक दुलारी
ससुराल की लक्षमी बन जाती हैं
दोनों कुल की मर्यादा को दिलो जान से संवारती है
सब्र की मिसाल में ओ
हौसले बेहिसाब दिखाती हैं
पर पिता,पुत्र की रक्षा खातिर रणभूमि में,
चण्डी बन ललकारती हैं
पहचान दिलाती हैं जग में ये कुदरत की फुलवारी है
औरत कोई सामान नहीं
ये सृजन की अधिकारी हैं
अनुभा वर्मा ,पटना
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
कवयित्री सम्मेलन, फैंशन शो व सम्मान समारोह में आपको
सादर आमंत्रित करते हैं।
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