बेटी का दर्द-भावना

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष


बेटी अपने और दूसरों के दर्द की
सहनशीलता का है खजाना ।
युगों युगों से भारत की बेटियों को
आज तक किसीने नहीं है जाना ।।

कंचन काया , निर्मल हृदया बेटी
साक्षात देवी का है अवतार !
उनका मन-मंदिर है पवित्र धाम
जहाँ पनपता नहीं कभी दुष्ट विचार ।।

संसार गति को बढ़ाने वाली
कदम-कदम पर खाती ठोकर ।
बेटा-बेटी का भेद-भाव सहती
परिवार का बनती प्रथम शिकार !!

बेटी को नहीं अपनी स्वतंत्रता
बंधन-मर्यादा उनके आभूषण ।
जीवन साथी भी दूसरों की पसंद का
सारा जीवन होता है शोषण ।।

प्रतिकार करने का नहीं अधिकार
'सहो या मरो ' का मिलता धिक्कार ।
घर के बाहर गिद्धों का शिकार
कार्यक्षेत्रों पर राक्षसों का मनोविकार ।।

बेटियाँ , विश्व-शक्ति वटोर लो
रणचण्डी बन के संग्राम खेलो।
अमोघास्त्र कर धारण करो
दुष्टों की नाभि में बाण मारो ।।

समय आया है बेटों की शिक्षा का
माता-पिता संस्कार दीजिए ।
शाला कॉलेज जीवन मूल्यों सिखाये
लड़कों को इंसानियत का शृँगार कीजिए ।।

समाज को शिक्षित करना होगा
बेटियों को बचाना होगा ।
जब हर परिवार सुसंस्कृत होंगे
तब बेटियाँ सुरक्षित होंगी ।।

राक्षसों के खौफ से मुक्त करो
बेटी का प्राण सा  जतन करो ।।
दर्द के दल दल में फँसती बेटी का
सब मिलकर रतन सा जतन करों ।।

डॉ भावना सावलिया राजकोट गुजरात
मोबाइल नं ८८४९८ ४२४५६


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