अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
हर मौसम की बहार है नारी
गुलों के बीच कचनार है नारी
तन मन को जो कर दे शीतल
मेघों से छलकी फुहार है नारी
दर्द और गम की दवा है नारी
हर एक बात की अदा है नारी
खुदा को भी नाज़ जिस पर
ऐसा ही एक करिश्मा है नारी
निर्मल और नादान है नारी
खुद से ही अंजान है नारी
सत्यता का बोध कराती
धरती पर भगवान है नारी
प्यार की परिभाषा है नारी
जीने की अभिलाषा है नारी
ह्रदय में जिसके सार छुपा
शब्दों में छिपी भाषा है नारी
इन्द्रधनुष की रंगत है नारी
सन्तो की ही संगत है नारी
देवी रूप बसा हो जिसमे
जमी पर ही जन्नत है नारी
फूलो का अहसास है नारी
जीवन का विश्वास है नारी
रिश्तों में जो भरें माधुर्य
ऐसा ही"मधु"मास है नारी
||मधु टाक||
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
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