एकान्त का आनन्द-अमिता मराठे

बीमारी विकार जनित होती है
यदा कदा चील सी झपटती है
जन जीवन झकझोर देती  है
जिन्दगी का कोई सत्य छूपा है
कोरोना अभिशाप नहीं वरदान है


मानो कोई दिव्य शक्ति है
प्रकृति हमें  कहना चाहती है
जीवन की व्यर्थ आपा धापी में
अपनो से ही बिखर गये है
कोरोना अभिशाप नही वरदान है


शापिंग माल सिनेमा पर ताले है
घर मे लूड़ो कॅरम की बाजियाँ है
किताबो के पन्ने मुस्करा रहे है
बच्चे बड़ो से किस्से सुन रहे है
कोरोना अभिशाप नही वरदान है 


एकान्त का आनन्द ले रहे है
वायरस हमें कहने  आया  है
भयभीत होकर नहीं चलना है
प्रकृति से अपनो से मिलना है
कोरोना अभिशाप नही वरदान है 


लोग व्यर्थ का त्याग कर रहे है
सार्थक कर्म मे व्यस्त हो रहे है
मनसा वाचा कर्मणा स्वच्छ हो
शुभकामना शुभभावना दे रहे है
कोरोना अभिशाप नही वरदान है 


जन जागरूकता हो रही है
लापरवाही आलस्य उड गया है
सावधान कोरोना जा रहा है
स्व परिवर्तन की सौगात दे रहा है
अब कोरोना हाथ जोड रहा है


अमिता मराठे 
इन्दौर 


 




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