देख उसकी लावण्यमयी सौंदर्य रस छलकाती काया,
उठी लहर हिय में,सौंदर्य मग्न हो अपना भी मन भरमाया।
उलटपुलट सौंदर्य विशेषांक सुंदर बनने का नुस्खा पाया,
सर्वप्रथम मुखमण्डल पर केसर शहद का लेप लगाया।
अरे!यह क्या,कुछ रेंगने का एहसास, हुई है कोई गड़बड़झाला,
नुस्का बड़ा कारगर है शायद, यह सोच मन शांत कर डाला।
कुछ ही पलों में असह्य हो गया सुन्दरता का मोह
दर्पण में सुंदर छवि निहारने अब चक्षु दिए खोल।
चीख पड़ी मैं छवि दर्पण में अपनी निहार,
लाल चींटियों ने एक साथ कर दिया था प्रहार।
ओह!सुंदरता के चक्कर में हुई क्या यह गड़बड़ झाला ,
इन चींटियों के हमले ने तो मुखमण्डल विकृत कर डाला।
कुछ दिन बाद पत्रिका में सौंदर्य प्रतियोगिता का इश्तेहार पाया,
जो बीत गया सो बीत गया,नया नुस्ख़ाअजमानेका विचार फिर से गहराया ।
चाँद से चेहरे पर हल्दी-मलाई का लेप लगाया,
चालीस की उम्र में बीस की दिखने का सपना गहराया।
बज रहा था संगीत मधु रस बरसाने वाला,
आँख मूँद ख़्वाब में, स्वयं को विश्व सुंदरी बना डाला।
पलभर में ही उतर गया नशा सुंदरता का,
असह्य जलन ने जब, खोल नयन दर्पण दिखलाया।
ओह!सुंदरता के चक्कर में मैंने यह क्या कर डाला!
हाय!क्या पता था मुझे ,होगा हल्दी -पाउडर लालमिर्ची वाला।
कान पकड़ खाई कसम नहीं पड़ना कभी इस चक्कर में,
हूँ मैं जो वही सर्वोत्तम है मेरे लिए, है यही मेरे हित में ।
माधुरी भट्ट पटना
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