होली आई रे कन्हाई-माधुरी

होली विशेष
नन्हा राहुल माँ का आँचल पकड़ बार -बार ज़िद कर रहा है। "मम्मी सबके घर में "होली आई रे कन्हाई ,सुना दे ज़रा बाँसुरी.... ऐसी मारी पिचकारी.....बज रहा है और सब लोग हँस रहे हैं और नाच- गा रहे हैं लेकिन तुम और दादी माँ क्यों रोये जा रही हो?
बोलो न मम्मी ! दादी माँ आप ही बोलो न मम्मी को प्लीज मेरे लिए पिचकारी खरीद दे।" सुखदा पोते के रुआँसे मुँह को देखकर बिफ़र पड़ी ।नन्हे राहुल को छाती से लगाकर दोनों नयनों से निकलती गङ्गा- यमुना से उसे नहलाने लगी। अनायास ही तीस साल पुराना दृश्य उसके सामने तैरने लगा जब अक्षय तीन साल का था और होली के कुछ ही दिन पहले उसके पति मेजर अतुल (अक्षय के पिता)का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ पूरे राजकीय सम्मान के साथ अग्निदेव को समर्पित किया गया था।


सुखदा ने अपने पति को खोया अवश्य था लेकिन स्वयं को कभी कमज़ोर नहीं पड़ने दिया।हाँ !उस भरी जवानी ने उसे झकझोर कर अवश्य रख दिया था। अब उसकी ज़िन्दगी अक्षय के इर्दगिर्द ही घूमती रह गई थी और आँखों में वे सपने जो अतुल ने अक्षय के पैदा होते ही सुखदा के मन में बो दिए थे... "हमारा बेटा भारत माँ की सेवा करने के लिए ही जन्म लिया है सुखदा!, मैं जब भी घर लौटूँगा देश की सीमा पर तैनाती के रोमांचकारी किस्से वीर रस के साथ अक्षय को सुनाउँगा ताकि बाल्यावस्था से ही उसकी रगों में भारतमाता की रक्षा के लिए
जोश भरता रहे।मुझे उम्मीद है कि तुम उसे हर रोज़ वीर शिवाजी, चन्द्र शेखर आज़ाद, सरदार भगतसिंह, सुखदेव,वीर सावरकर, रानी लक्ष्मीबाई, असम की तेरह वर्षीय कनकलता, महाराणा प्रताप जैसे अनेकों वीर शहीदों की गाथाओं से पोषित करती रहोगी।"
नन्हे राहुल का माथा प्यार से चूमते हुए अश्रु रूपी सैलाब को बाँध श्वेता के कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है-"तुम मेरे लिए मात्र बहू ही नहीं हो , मेरा बेटा भी तुम ही हो,मैं अक्षय को तुममें ही ढूँढती हूँ। जानती हो जब अतुल के शहीद होने के तुरंत बाद होली आई तो तुम्हारे ससुरजी ने क्या किया था, होली की ज़िद कर रहे अक्षय को पिचकारी और रंग यह कहते हुए दिया कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि उनका बेटा भारत माँ की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है। होली के रंगों से जब अक्षय अपनी माँ को भिगोएगा तो उनके बेटे की आत्मा को शान्ति मिलेगी और भारत माँ का हृदय वात्सल्य रस से भर जाएगा।"
यह कहते हुए सुखदा जल्दी से होली का गाना बजा देती है और नन्हे राहुल के नन्हें -नन्हें हाथों से पिचकारी में भरे हुए रंगों तले बहू श्वेता और अपने आँसुओं को छुपा लेती है।


माधुरी भट्ट, पटना।


05 अप्रैल 2020 को महिला उत्‍थान दिवस पर आयो‍जित
कवयित्री सम्‍मेलन, फैंशन शो व सम्‍मान समारोह में आपको 
सादर आमंत्रित करते हैं।
पत्रिका के साप्ताहिक आयोजनो में करें प्रतिभाग
शार्ट फिल्‍म व माडलिंग के इच्‍छुक सम्‍पर्क करें 7068990410


 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ