आज फिर से एक
नयी आगाज करें
होकर आजिम
आज की नयी सुबह को
सलाम करें
मन को एक शकून मिला
एक बेटी को इंसाफ मिला
दिल में एक आस जगी
मन में हो बिश्वास अगर
जो चाहो मिल जायेगा
कर्म करते रहोगे
फल अपने आप मिल जायेगा
बिन खोदे कुआँ
पानी नहीं मिलता
बिन चीरे धरती
फसल नहीं उगती
बिन प्रयास
सफलता नहीं मिलती
लगे रहो डटे रहो
लेकर हाथ अपनी
संस्कृति और पराम्पराओं
कोरोना कहर भाग जाएगा
जो चाहो व हो जायेगा
हर पल तुम्हारा हो जायेगा
स्मिता धीरसरिया
बरपेटा रोड
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