रोती हूँ ,पर कमजोर नहीं मैं।
मैं जानती हूँ खुद को,
मौन हू इस बात पर ।
वक्त मेरा खराब है,
इन्तजार है बस साथ का ।
गरीब हूँ, पर आत्म निसार नहीं मैं।
मैं रखती हूँ हिम्मत ,
पर्वत की हर उस ऊँचाई पर चढ़ जाने का।
संघर्षशील हूँ, मैं तेरे हर मुकाबले पर।
डरती नहीं मैं इस्तिहारों से।
मेरे रोने पर भूल न करना तूम मेरे कमजो़र हो जाने की ।
मैं रोती हूँ मेरे लिऐ
मैं हँसती हूँ मेरे लिऐ
मैं खामोश हूँ कुछ समझ
जाने को।
ऐतबार है मुझे ,मुझे पर ।
मुझे पाने की तू भूल न कर ।
मुझे बेवजह दोषी ठहराने की।
फ़रमान है तूझे,तू कर ले कबूल तेरी गलती
खुद से मैं आज भी तैयार हूँ तूझे अपनाने को।
मैं तेरे हर पहल से सीखती हूँ कुछ समझजाने को।
न कर तू खुदसे ये गुस्ताखी,
मुझे गलत अनुभव देजाने को।
तेरी हर पहल पर ऐतबार है मुझे
कि तू कुछ न करेगा एसा,मेरा दिल दुखाने को।
बना एसा सम्बन्ध प्रेम का
तेरे दुखः में मैं तेरे काम आऊँ,
तेरे सुख में मैं तेरे काम आऊँ।
हो अगर कोई गुस्ताखी मुझसे
तू मुझसे नाराज न होना ।
मैं तूझको मनाऊँ।
तू मुझे समझाना ।
ऐक बार कर तो सही एतबार मुझ पर।
मैं नादान हूँ ।
बेईमान नहीं।
दिल थोडा़ माहसूम मेरा है,
न कि यह कमजो़र है।
न मन में मेरे कोई चोर है।
मेरे आँसुओं को मेरी हार न समझो।
माहसुम हूँ मुझे गद्दार न समझो।
खुशबू शर्मा, दिल्ली
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