अभी यह खूब चर्चा में है और कभी कोई कुछ लेकर आता है इसके बारे में सलाह देता है तो कोई कुछ ।किस किस की सुनु ? कोई कहता है सावधानी बरतें।सावधानी तो बचपन से सुनती आ रही हूं कि शौचालय जा कर आओ तो दोनो हाथों में मिट्टी लगाकर तथा रगड़ रगड़ कर तीन बार हाथ धोना और धोया भी फिर जब बड़े हुए तो चापाकल से वेसिन में आए तब साबून से हाथ धोने लगे ।अब बाथरुमो में एटेच शौचालय बनने लगे तब हाथ कभी गंदे हुए ही नहीं क्योकि वहां ऐसी मशीनें लगी हुई है कि पाईप को दबाओ पानी से अपने आप साफ हो जाता है तो तीन बार हाथ धोने की जरूरत भी खत्म हो जाती है एक बार तो औपचारिक रुप से धो लेते है कि भयी घृणा ना लगे। दिन में दो बार नहाते है ।
अब इसके बाबजूद भी कहते है दिन में दस बार हाथ धोवो तो फिर सारा दिन तो इसी में खत्म हो जायेगा ।मैं मोबाईल कब चलाऊगीं? आपसब जो लिखते है वो कब पढुगी? यह चीन भी न खुद तो इतनी गंदी गंदी चीजे खाता है अपनी बिमारी दुसरो को देता है इतनी गंदे लोग साॅप चमकादड़ो को भी नही छोड़ा ?ईश्वर ने दुनिया में कैसे कैसे लोगो का जन्म करवाया है जो कभी दानव लोगो का भक्षण हुआ करता था। जानवरो को बहुत बुरी तरीके से मारा है जिनकी चित्कार इस बार भगवान ने सुन ली इसलिए आज चीनी लोगों की चित्कार को कोई भी नही सुन पा रहा है सब की गालियाँ ही खा रहा है
चीन की संख्या बहुत ज्यादा होने की वजह से आज के दस साल पहले यह फरमान भी हुआ था कि जितने भी बुढे लोग है जिनकी उम्र अस्सी के आसपास है उन्हें गोली मार दी जावे क्योंकि वहां की जनसंख्या कुत्ते बिल्ली की तरह पनपती है और भयंकर भुखमरी के शिकार हो रहें है ।मुझे लगता है शायद इसलिए ये चीनी लोग अजब गजब चीजे खाने के अभयस्त हो गये होगें।कभी कभी तो ऐसे जानवर खाते हुए दिखाया जाता है जो बिना पकाये हुए खाते है ।देखकर भी आश्चर्य होता है कि शायद यह विडिऑ में झूठ ही दिखाया जाता होगा।लेकिन जब इनके बारे में रिसर्च करते है तो सारा सच होता है ।
हजारो सुअरों को जिन्दा जलाया गया और मुर्गियों तथा उनके चूजो को मिट्टी मे दफनाया गया ।मैं सोचती हूं आत्मा परमात्मा सबकी एक होती है उनके दर्द भरी चित्कार का प्रकृति ने एक साथ बदला लिया है जैसे कि आज निर्भया के दोषीयो को फांसी की सजा मिली उनको भी जिन्दगी से मुक्त किया गया ।ईश्वर घर देर है अंधेर नही है ।
जब जब इस धरती पर पाप होता रहेगा तब तब उसका भूगतान भी होता रहेगा। गाय बकरी व सुअरो का कत्ल किया जाता था उनकी चित्कार से सारा वातावरण व धरती तक काॅप उठती थी इतनी बेरहमी से उनपर गर्म गर्म खौलता पानी डाला जाता था उनकी चमड़ी को अलग कर उनके अंगो को काटा जाता था ।मैं तो यही कहुंगी जैसी करनी वैसी भरनी ।अभी तो मरे ही क्या है जब यह चीन आधे से ज्यादा खाली हो जायेगा तब ही शायद मुझे शांति मिले। कितने बेरहमी लोग है न? जरा भी दया नही है इनके अंदर ?बचपन मे सुना था कि ऐसे लोगो की हजारो जन्म तक भी मुक्ति नही होती जो जीवो को मारकर खाते है उन्हें भी फिर वो ही जन्म लेना पड़ता है ।मैं खुश हूं कि ईश्वर ने मुझे शाकाहारी बनाया और हमेशा लाख लाख शुक्रिया अदा करती हूं ।और हे भगवन! जब भी मैं मरु तो मुझे चाहे पशु व पक्षी की योनि दे देना लेकिन बना देना शाकाहरी ।
पता है मुझे शाकाहारी लोगो का मजाक खूब बनाया जाता है घास फूस खाने वाले जीव जन्तु।हां लाख मजाक बना लो लेकिन मरते दम तक यही कहती रहुगी कि मुझे मांसाहारी मत बनाना ।
आज की परिस्थितियो को देखते हुए नही कह रही हूं ।आज तो मुझे मौका मिला है तो कह रही हूं वो भी हर जगह कोरोना कोरोना हो रखा है दिल दिमाग में बैठाया जा रहा है ।क्या होगा यदि हम एक साथ बैठते है मिलते है किसी से ।यदि किसी के घर मे बीस लोग है तो वो कहां जायेगे? खाना भी खिलायेगे ,बातचीत भी करेगे ।अभी गणगोर पूजन चल रहा है जिनमे कितनी ही कुंवारी कन्याये एक साथ पूजन करती है वो भी सोलह दिन तक एक साथ ।फिर वो क्या अलग अलग पूजन करेगी?
मेरी समझ में कई बाते नही आती है और न ही गले उतरती है ।
कौरोना वायरस ने मांसाहारी व शाकाहारी को एक ही कर दिया है इतना डर पैदा कर दिया है कि अपने ही लोगो व दोस्तो से मिलने नही दे रहा है ।वाह रे !कोरोना तुम मे इतनी ताकत है तो फिर एक काम करो न मुझे किसीसे तलाक चाहिए दिला दो ना!
सच में आज मुझे रोना आ रहा है इस कोरोना पर ।तेरह वर्षो से मेरे घर मे सत्संग होती आई है और आज के दिन मेरा साथ देने वाला कोई नही हैं । वाह भयी वाह कोरोना नाम से तो ऐसा लगता है जैसे कोई प्यारी सी लड़की का नाम है ।
लेकिन हो तुम कहर जो सब पर बनकर आई हो ।
^^^ममता गिनोड़िया^मुग्धा^
0 टिप्पणियाँ