अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
क्यों खामोश है तू
कब तक खामोश रहेगी?
ह्रदय की अथाह वेदना पीड़ा
कब तक और क्योंकर सहन करेगी?
न स्वयं से तू यूँ मुँह मोड़
खामोश न रह बस चुप्पी तोड़
घुट-घुटकर, तिल-तिलकर
यूँ कब तक मरती रहेगी ?
दर्द को धर्म का नाम देकर
उत्पीड़न कब तक सहन करेगी !
क्यों खामोश है तू
कब तक खामोश रहेगी?
अबला-अबला कह कहकर
जग ने बस मनोबल तेरा गिराया है
जानते वो भी सब हैं
तू चण्डी,शक्ति महामाया है
जब दिये देव ने दिव्य गुण तो
क्यों चुपचाप नीर बहाए !
है सृष्टि का मूल स्तम्भ तू
फिर क्यों स्वाभिमान डिगाए ?
क्यों खामोश है तू
कब तक खामोश रहेगी ?
अपनी शक्ति का अनुभव तू कर
समेट ताकत न तू अब डर
कर दमन अतिचारी का अब
खामोश न रह बस हिम्मत कर
क्यों खामोश है तू
कब तक खामोश रहेगी?
ह्रदय की अथाह वेदना पीड़ा
कब तक और क्योंकर सहन करेगी !
किरण बाला
(चण्डीगढ़)
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
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सादर आमंत्रित करते हैं।
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