अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
प्रतिस्पर्धा के आधुनिक युग में भारतीय नारी ने अपने अस्तित्व को सिद्ध किया है ।भारत की नारी दया , ममता , मधुरता और गहरे विश्वास से युक्त तो है ही उसका हृदय सुंदर गुणों का खजाना भी है। वह स्वभाव से ही देवी की तरह होती है । किसी ने सच ही कहा है --जिस देश में नारी की पूजा होती है , वहां देवता निवास करते हैं ।
आज भारत की नारी प्रगति की दौड़ में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल कर रही है ।वह पुरानी नारी के समान "लाज की गुड़िया " नहीं बल्कि पुरुष की सहयोगिनी, जीवनसंगिनी और सहधर्मिणी है ।वह घर और समाज के लिए समर्पण करने को हमेशा उद्धत रहती है । दुर्भाग्य से मध्यकाल में नारी का रूप विकृत हो गया था। पुरुष के अन्याय के कारणों से उसे पर्दे में छिपना पड़ा । घर की चारदीवारी में बंद होना पड़ा । पुरुष के मनमाने अत्याचार के कारण उसे शिक्षा से भी वंचित होना पड़ा । इसलिए वह जीवन की दौड़ में पिछड़ गई । वर्तमान काल में भारतीय नारी सभी क्षेत्रों में पुरुष को चुनौती दे रही है । चिकित्सा ,शिक्षा और सेवा में उसका कोई मुकाबला नहीं है । प्रशासन और पुलिस जैसे कठोर कर्मों में भी उसने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है। वह कुशल वायुयान -चालक , सैनिक , वक्ता , प्रवक्ता और मेघावी व्यावसायिका भी सिद्ध हो चुकी है । उसने स्वयं कर्म कुशलता से अपने लिए सम्मान अर्जित कर लिया है ।
इतना ही नहीं देश की प्रधानमंत्री ,मुख्यमंत्री, राज्यपाल , सभापति जैसे देश के सर्वोच्च पद को भी सुशोभित किया है ।आज हमारे आस पास काम करने वालों और शिक्षा- दीक्षा लेने वालों में जितने पुरुष नजर आती है लगभग उतनी स्त्रियां भी नजर आती है ।आज स्त्री अपने परिवार के भरण -पोषण में दोहरी भूमिका निभा रही है ।उन पर घर की देखभाल और खाना पकाने का भार तो होता ही है रोजगार के जरिए परिवार को आर्थिक सहारा भी दे रही है । कई एकल परिवार तो ऐसे हैं जिन्हें अकेली स्त्री की ही चला रही है ।दफ्तर और व्यापार में रहती ,घर का रखती ध्यान ।नारी भारतवर्ष की, सब रत्नों की खान ।।
सीता देवी राठी
कूचबिहार
पश्चिम बंगाल
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