मिला इंन्‍साफ-सिम्पल काव्यधारा

हो गई आज बात ये साफ
मिला निर्भया को इन्साफ
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हैवानों ने किया था काम
देख दरिन्दों का अन्जाम
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निर्भयता से लड़ी लड़ाई
दोषियों को सज़ा दिलाई
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हार न मानी मन में ठानी
आखिर न्याय दिलाकर मानी
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अब लहर खुशी की छाई है
मां ने जीती आज लड़ाई है
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सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज



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