मुहँ का लाकडाउन -नीरज


बीबी का मुहँ लॉक डाउन,
अब तो कर दो मोदी....जी...!
हाय हमारी इज्जत इसने  धो दी....जी..!


क्या दिन थे वो इज्जत वाले,भूल गया हूँ,
दिनभर गुस्से की अग्नि में, झूल रहा हूँ,
अँखियाँ सहकर दर्द, फूट कर रो दी..जी.....!
बीबी का मुँह लॉक डाउन,
अब तो कर दो मोदी....जी...!


चाय नाश्ता बना रहा हूँ, सबको पिक्चर दिखा रहा हूँ,
बर्तन कपड़े सब करता हूँ,  हर बात में हामी भी भरता हूँ,
हीरो था मैं अपने घर का, हाय मेेेेरी पल में खो दी जी।
बीबी का मुहँ लॉक डाउन
अब तो कर दो मोदी जी।


कल तक नैना प्यार भरे थे, आज घूरकर देखे,
नश्तर वाणी से चलते , दिल चूर चूर कर फेके,
फूलों सी मुस्कान नही,
 हो गया मन अब जोगी जी,
बीबी का मुहँ लॉक डाउन,
अब तो कर दो मोदी जी।



रचनाकार
डॉ नीरज अग्रवाल नन्दिनी
बिलासपुर


 



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