नारी का सम्‍मान - सिम्पल काव्यधारा

अन्‍तराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं,मगर क्या आज कोई नारियों का सम्मान करता है , क्या नारी जाति को कोई मां बहन की  निगाह से देखता है , क्या नारी अपने घरों में भी सुरक्षित है,, नहीं ऐसा कुछ नहीं है, नारियों पर हर दिन अत्याचार हो रहे हैं लड़कियों के कॉलेज से निकलते ही लड़कों की कतार लगी रहती है उन्हें घूरने के लिए,मगर उस समय वो लड़का यह नहीं सोचता कि उसकी बहन भी कॉलेज गई है उसे भी कोई घूर रहा होगा, कोई पति अपने पत्नी को प्रताड़ित करते समय यह  नहीं सोचता कि उसकी बेटी भी कल को बड़ी होगी ,और उसे भी कोई कष्ट देगा तो वह क्या करेगा ।
हर घर की यही कहानी है ,नारी ने ही पुरुषों को जन्म दिया है , यदि नारी न हो तो पुरुषों का जन्म न हो, वही पुरुष जिसे नारी नौ महीने अपने कोख में रखकर पालती है , तकलीफ सहती है वो ही आगे चलकर नारी को कमजोर कर देता है , कोई ममता पर प्रहार करता है तो कोई सतीत्व पर ,हर तरफ से इनके अरमानों को कुचला जाता है , असली महिला दिवस तो उस दिन होगा जिस दिन मां बहनों के घर से निकलने पर घूर कर देखने के बजाय हर पुरुष वर्ग उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे, और हर नजर में भाई और पिता जैसा स्नेह ऐर सम्मान होगा,
नारी होना कोई गुनाह तो नहीं नारी ही जन्मदाता हैं कृपया इन्हें सम्मान दें ,और सुरक्षित रखें ,
अपने सम्मान को बचाने के लिए हर नारी को रानी लक्ष्मीबाई और रानी पद्मावती बनना पड़ेगा,
महिलाओं का गौरव बढ़ाए , 



सिम्पल काव्यधारा
बक्सी  खुर्द दारागंज 
प्रयागराज


05 अप्रैल 2020 को महिला उत्‍थान दिवस पर आयो‍जित
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