अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
बेटी बनकर मात पिता के आंगन को महकाती हूं
पत्नी का रूप धारण कर दोनों कुल की लाज निभाती हूं
मां का रूप धरूं जब मैं ममता की छांव कहाती हूं
नारी जीवन कठिन बहुत है तपती और निखरती हूं
छलित घूरती नजरों से मैं दामन स्वयं बचाती हूं
हां मित्रों बेटियां जब जन्म लेतीं हैं तो माता पिता उन्हें संस्कार देते हैं , अपने हिसाब से उन्हें निखारते हैं सुनहरा जीवन देते हैं , उनका चरित्र बेहतरीन बनाते हैं ।
नारी का चरित्र दर्पण जैसा होना चाहिए । माता पिता बेटियों को इस तरह ढालते हैं कि वह स्वयं जीवन के हर संघर्ष में सफल हो इस योग्य बनाते हैं , पत्नी बहू भाभी जैसे अनेक रिश्तों को बखूबी निभायेगी , अपने गुणों से अगली पीढ़ियों को एक सूत्र में बांधकर संस्कार से भर देगी ।महिलाएं जीवन भर संघर्ष करती हैं पर अपना ध्यान नहीं देती , ये धैर्य और साहस के साथ खुद को निखारती हैं। नारी के दुर्गा काली लक्ष्मीबाई जैसे अनेक रूप हैं ।सब कुछ होते हुए भी नारियां आज पुरुषों से पीछे नहीं हैं ,ये जागरुक हैं और सबसे आगे हैं , हर क्षेत्र में नारियों ने बेमिसाल प्रस्तुति दी है , ऐसी सशक्त नारियों को दिल से नमन करती हूं ।
सिम्पल काव्यधारा
बक्सी खुर्द
प्रयागराज
05 अप्रैल 2020 को महिला उत्थान दिवस पर आयोजित
कवयित्री सम्मेलन, फैंशन शो व सम्मान समारोह में आपको
सादर आमंत्रित करते हैं।
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