*नववर्ष*
बीत रहा है वक्त और हृदय में
आह्लाद,
देवी का शुभागमन चैत मास
नवरात्रि |
प्रसन्नता और आरोग्यता का हो
सर्वत्र निवास,
खिलखिलाए धरती,झूम उठे
आकाश |
नन्हें-नन्हें कर कमलों के स्पर्श से
आया नववर्ष,
शुक्ल पक्ष प्रथमा तिथि नवसंवत्
उत्कर्ष |
प्रार्थना है तुमसे प्रभु धन-धान्य हो
भरपूर,
दुष्कारी वायरस सभी हो जाएं
यहां से दूर |
रिक्त रहे ना क्षेत्र कोई वर्षा हो
भरपूर,
मानव को मानवता याद रहे करे न
कोई भूल।
दुर्घटना बीमारी से सुरक्षित रहे
संसार,
कोरोना जैसे विषाणु का शीघ्र
करो संहार |
जन-जन का आपस में मिले पूर्ण
सहयोग,
न आशंका युद्ध की न हो आपदा
का खौफ |
सर्वत्र प्रस्फुटित हो प्रसन्नता और
आनंद अपार,
शिक्षा दुर्भिक्षा का मिट जाएगा
नाम|
बीत रहे इस वर्ष में हृदय में ऐसी
हूल,
बेटी की विदाई में जैसे चुभते अश्रु
के शूल।
*शिवानी त्रिपाठी*
*मीरापुर, प्रयागराज*
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