निर्भया की जीत-नीता चतुर्वेदी

निर्भया की जीत
रोज जीते रोज मरते
इंसाफ की सुबह हो गई
निर्भया आज चैन
की नींद सो गई
देर से ही सही
न्याय तो आया
विरोधियों का दांव
कोई काम ना आया
मेरी नींद उड़ा कर
दुनिया से लड़ने का
हौसला दे गई
न्याय की आस
बन वह हर सांस
में जिंदा हो गई
हर बेटी के लिए
अब मां की लड़ाई
शुरू हो गई आशा
और निराशा में
आशा जिंदा हो गई
नीता चतुर्वेदी




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