संविधान की न्याय व्यवस्था ने
सत्य का इतिहास रचा है,
बरसों तलक निर्भया की माँ ने
अन्याय का युद्ध लड़ा है,
दानवता से मानवता भी
देखो उस दिन हारी थी,
निर्भया नाम की अबला नारी
दुराचार से मारी थी,
अस्मत का यह खेल जुल्म
सदियों से चलता आया है,
पहली बार दरिंदों को अब फांसी पर लटकाया है,
शर्मसार अब पैदा ना होगा
दुराचारी को समझ में आया है,
नारी शक्तिकरण का डंका भारत में लहराया है,
आज आत्मा निर्भया तेरी
कुछ संतोष तो पाती है,
लाश देखकर उन चारों की
हर्षित हो उठ आती है,
अब ना दुष्ट दरिंदा कोई
ऐसी बर्बरता सोचेगा,
दशा देखकर उन चारों की,
हजार बार फिर सोचेगा,
यही फैसले का दर्शन है
जनमत को समझाया है,
*तारीख बीस मार्च को अब से,*
*निर्भया दिवस मनाया है।।*
"""
रमेश चन्द्र सैनी
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