पथरीली राहों पर - अंकिता

पथरीली राहों पर टुटते सपनों की गठरियाँ
मौनव्रत हैं जीवन पदचाप ओ सवरियाँ


रौंगटे उभरने लगे देख मेरे अकेलेपन को
जख़्मों का सिलसिला रुका नही छलिया।


तन मनभावन थिरकने लगा धुन पर
प्रिय सुनकर तेरी यादों की बाँसुरियाँ।


विरह जोग तनहाइयों ने पहना लिया मुझे
बंसती बयार तेरे ख़तों को यादों मे डूबो दिया


अल्हड़पन से मैं बावरी मतवाली पिया 
अकेले ही जीवन के सारे पीर पी लिया


दरमियाँ साँसों के फ़ासले मिटते नहीं
क़लम खुद से करती शिकवे गिले मेरे पिया
     


 


अंकिता सिन्हा
जमशेदपुर झारखंड



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