एक व्यक्ति का भाव उसी की कल्पना के जरिए अनुभव कुछ इस तरह हुआ। सुंदर स्थान बसा हुआ है प्राकृतिक की गोद में पर्वतमाला दरिया हरियाली वह पहली किरण ऊर्जा और प्रेरिणा देति है। सूर्य का प्रकाश जब दरिया में पढ़ता है तब दरिया चमकने लगता है। सुप्रभात की चिलकन सूखे पत्तों पर गिरती एसे पत्ते स्वर्ण की तरह दिखते हैं पशु पक्षियों के स्वर कितने मधुर लगते कानों को बहुत आनंदित करते हैं।
जब धीमे धीमे से किरण घर में प्रवेश करती , बालकनी का दरवाजा खोलते ही सारा प्रकाश घर में प्रवेश हो जाता। ऐसा प्रतीत होता है जलता दीप हो, एक दीप से पूरा घर रोशन हो गया। दरिया भी स्वर्णिम नजर आ रही थी। हरियाली आंखों को सुकून दे रही थी। कोकिला की तान कानों में मधुर स्वर बजा रही थी। कितने भाग्यशाली हैं प्राकृतिक स्थल पर पर मुझे रहने का मौका मिला है ।इतने शुद्ध वातावरण में जैसी प्रकृति की गोद में आ गई।
पर्वत और दरिया का एक सेतु बहुत सुहाना लगता। जैसे एक टक देखती ही रहू प्रकृतिक नजारें को।ये एक खेल जेसा लगता है, जब मैं हरियाली को दूर से देखता हूं तब वह मेरे करीब होती है। करीब आता हु तब वह दूर चली जाति। यह खेल बार-बार करने से खुशी मिली।
खेल खेल में नजर सड़क पर गई देखा भेड़ बकरी एक झुंड में चरने के लिए जा रही है पहाड़ चढ़ने की तैयारी करती है 100 ,200 की संख्या में ऐसा प्रतीत होता है, पर्वत पर बर्फ बिछा दी हो । मालिक साथ में धूप से बचाव के लिए बड़ा सा छात्रा लिए हाथ में छड़ी भेड़ बकरी का हौसला देते हुए आगे बढ़ा रहा था। बकरी भी गिरती पड़ती उछलते कूदते अपने मुकाम पर पहुंच जाती है।
उस दिन मैंने उन भैड़ , बकरी से सीखा, सफलता को प्राप्त करना हो तब हौसलों को बुलंद रखना होगा। अलग-अलग मौसम करवट बदलता है, हर मौसम अपना एक अलग भाव दे कर जाता है।जैसे गर्मी उदासीन लाती है। तो हल्की ठंड मुस्कान लौट आ जाती है।प्रकृति की हवाओं में बह जाओ वादिया , समुद्र किनारे लहरों की गूंज प्रकृति की सुंदरता को महसूस करो उसी को देखो। अरे वाह! क्या बात है।
जितना सुंदर दिन था पर रात कितनी भयानक है उस रात को मैं और मेरी कल्पना थी। दिमाग में बहुत से सवाल चल रहें थे सुनसान रास्ता, साय साय की आवाज जो दरवाजे को बार-बार दस्तक दे रही थी। पेड़ के सूखे पत्तों की आवाज खर खर, कोने में बैठे हुए जीव शु शु शु, एक हॉरर शो की तरह चल रहा हो यह रात कब कटेगी? करवटें बदलती रही। सोच में पड़ी रही में ने अपने आपसे एक प्रश्न किया?क्या यह विचार करना ठीक है?
विचार करते हैं , जैसा सोचते हैं , वैसा ही होता है। बड़े-बड़े लोग सिध्ध कलाकार योगी ज्ञानी इत्यादि लोग अपनी सफलता को प्राप्त करने के लिए एक एकांत जगह देखता है जिससे एकाग्र चित होकर कार्य को सिद्ध कर सके।लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं ऐसे लोगों प्रसिद्ध होते हैं।हमें भी गर्व होना चाहिए मौका मिला है ।अपना मकसद पूरा करने का ,उन सिद्ध लोगों की तरह तो नहीं बन सकते पर प्रेरणा ले सकते हैं। मुझे यह अब यह रात भी सुहानी लगने लगी, चांद की रोशनी सुनसान रोड को रोशन कर देती है। यह साय साय की आवाज दरवाजे पर सफलता पाने की दस्तक देते हैं। बस सोच का ही तो फर्क है,
विचार बदलते ही सब सकारात्मक हो जाता है। उस दिन के बाद से, मेने डर को निकाल कर सफलता की पाखंडी पर चढ़ने की तैयारी की।
हिमानी भट्ट
धन्यवाद ।
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