सपनों की दहलीज पे मैं,
सपने जगने नहीं देते
कुछ ख्वाब है मेरे अपने
जो मुझे सोने नहीं देते
कांटो को हटाकर मुझे,
फूलों का पथ बनाना है
राही हूं मैं अपनी राह का
मुझे आगे बढ़ते जाना है
अंधरे को दूर कर मुझे,
रोशन जहां बनाना है
किरणे चाहे रूठी मुझसे
दीपक से उजियारा लाना है
तूफानों से लड़कर मुझे,
हवाओं का रुख मोड़ना है
सफलता चाहे रूठी मुझसे
जीत से हार को तोड़ना है
मीना सोनी
अजमेर
0 टिप्पणियाँ