वतन से प्रेम कर गये- सिम्‍पल काव्‍यधारा

जो अपने वतन से प्रेम कर गये 
जो मरते हुए जय हिन्द कह गये
पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि
भारती माँ के सीने  लिपट गये


याद है उस रोज अासमाँ रोया
प्रेम जोड़ा था  बाँहों में खोया
बादल भी हाय चिंघाड़ रहा था
जब वीरों को था देश ने खोया


मैं प्रेम का इज़हार कर आई
अपने वतन से प्यार कर आई
आज देशभक्ति के गीत गाकर
मेरी आँखें फिर से भर आई


जय हिन्द
‌सिम्पल काव्यधारा
प्रयागराज




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