25 मार्च 20:20 के दिन से नव संवत्सर प्रारंभ हो गई। इस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष का पहला नवरात्रि होने के दिन कलश स्थापना भी की गई । देवी के नौ रूप के पूजन के साथ ही इन दिनों मैं जब पाठ व्रत अनुष्ठान यज्ञ कन्या पूजन भोजन कराने का विशेष महत्व है मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जिले से 50 किलोमीटर दूर विदिशा नगरी में यूं तो बहुत से मंदिर है पर उनमें दुर्गा नगर स्थित दुर्गा मां मंदिर का विशेष महत्व है यहां पर 9 दिनों तक नवरात्रि में श्रद्धा के अनुसार कई हजार ज्योतियां जलाई जाती है यह ज्योतियां भक्तों के द्वारा जलाई जाती हैं घी और तेल की।
यहां के पुजारी जी महंत रामेश्वर प्रसाद चतुर्वेदी जी इन जातियों की 9 दिनों तक रक्षा करते हैं सभी भक्त 9 दिनों तक रोजाना दर्शन करने आते हैं और आप अपनी मनोकामना पूरी करते हैं दसवीं दिन विशेष यज्ञ और भंडारा किया जाता है जिसमें कन्या भोजन भी शामिल है।
इस साल सूर्य मचकृ की पहली राशि मेष से शुरू हो रहा है ऋतु परिवर्तन होता है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है आचार्य ने कहा है 9 दिन उपवास रखकर सभी स्वस्थ रहें भारत में नए साल का ज्योतिषीय महत्व का विशेष फल होता है हर नए साल का हिंदी पंचांग के अनुसार नया नाम होता है ग्रहों का मंत्रिमंडल भी होता है जिस ग्रह के पास जितनी ताकत है उसमें उसमें वर्षा कृषि राज मंत्री बनता है इसी के आधार पर पूरे साल में शुभ अशुभ का निर्माण होता है मौसम अर्थव्यवस्था कृषि वर्षा आदि ग्रहों के मंत्रिमंडल के अनुसार होती है आने वाले सालों में देखा जाता है कि ग्रहों की स्थिति कैसी है फल कैसा है
इस साल का नाम विक्रमी संवत 2077 पृमादि है। यह ज्यादा अच्छा नहीं होता बीमारी आदि रोग होते हैं जैसा कि देखने में आ रहा है वर्तमान समय में। इसमें राजा बुध है मंत्री चंद्र है। राजा बुध के होने से लोगों की समस्याएं हल होंगी । मंत्री चंद्रमा होने से वर्षा अधिक होगी कृषि मंत्री बृहस्पति से अन्य दूध की अधिकता रहेगी मौसम विभाग पर सूर्य होगा जो कि अच्छा रहेगा किसानों को फायदा होगा वित्त मंत्री बुध के होने से धन की बचत से लाभ होगा और गृह मंत्री सुरक्षा सूर्य है जिससे कि देश की सुरक्षा बनी रहेगी इस तरह ज्योतिषी पंचांग के अनुसार उपरोक्त स्थिति बनेगी। हमारे यहां नवरात्रि में घट स्थापना के साथ जवारे भी बोए जाते हैं
नवमी के दिन उनको सिर पर स्थापित करके सभी भक्तगण नदी में विसर्जित करने जाते हैं फिर दशमी तिथि के दिन कन्या भोजन कराकर अपना व्रत खोलते हैं इस तरह नवरात्रि के 9 दिन कब निकल जाते हैं पता ही नहीं पड़ता। अतः नव संवत्सर को गुड़ी पड़वा के दिनसे प्रारंभ माना जाता है इसी समय हमारी फसलें पकती हैं पेड़ पौधों वृक्षों में नए पत्ते आते हैं।इस दिन नीम की न ई कोंपल में मिश्री मिलाकर खाते हैं जिससे बर्ष भर निरोग रहें। आशा है कि नवसंवत्सर पर घटस्थापना के साथ विराजित जगत जननी मां दुर्गा सारे जग को कोरोना रूपी महामारी से मुक्त कर सबको निरोगी काया दें। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ गुड़ी पड़वा पर आप सबको बहुत बहुत बधाइयां। अतः इस नव संवत्सर गुड़ी पड़वा की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
डांग माता मंदिर - विदिशा जिले में मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर सिरोंज में डांग वाली माता के नाम से महामाई का मंदिर है इस मंदिर पर चैत्र एवं क्वांर के माह में नौ दिनों तक मेला भरता है जिसमें जवारे बोकर , दुर्गा पूजा एवं यज्ञ के साथ साथ रासलीला राम-लीला भी समय-समय पर होती हैं पहले वहां जंगल था और जंगल को डांग कहा जाता है इसलिए डांग वाली माता नाम पड़ा, समापन के अवसर पर पूर्णाहुति के साथ विशाल कन्या भोजन एवं जनमानस के लिए भंडारा आयोजित किया जाता है। इसी तरह का आयोजन भोपाल के पास सलकनपुर होशंगाबाद रोड पर एवं तरावली बैरसिया रोड पर भी होता है। रायसेन जिले में सागर रोड पर नकतरा चौराहे के पास खंडेला गांव में छोले वाली माता के नाम से प्रसिद्ध मंदिर है तथा भोपाल रोड पर बिलखिरिया के पास उमरावगंज में कंकाली माता का प्रसिद्ध मंदिर है इन दोनों जगहों पर भी नवरात्रि पर्व पर मेले का आयोजन होता है।यह सभी मंदिर विदिशा से 100 किलोमीटर के अंदर हैं।
नीता चतुर्वेदी
विदिशा मध्यप्रदेश
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