420840बाबा अखंडानंदजी महाराज

बहुत दिनो से सोच रहा था हिमालय पर चला जाऊँ। तपस्या करूँ, भगवान को प्रसन्न करूँ और ज्ञान प्राप्त कर जीवन को सफल बनाऊँ।  बहुत सोच विचार किया,  अग्रजो से परामर्श लिया परन्तु उचित मार्ग-दर्शन नही मिला। मन खिन्नता से मेरा भर गया था, जीवन नीरस हो गया था, तभी एक उजाले की किरण दिखाई दी और मेरी मुलाकात महाज्ञानी, महा पराक्रमी , सिद्ध पुरूप महाराज *420 बाबा अखंडा गहमरी* से हो गई। बाबा ने मेरी समस्या सुन कर कहा " अरे अवोध बालक इतनी छोटी सी बात के लिए इतनी कुर्बानी" । तुम्हें ज्ञान प्राप्त करने के लिए अब  हिमालय पर जाने की जरूरत ही है,  वहाँ देवताओ को पसन्न करने की जरूरत नहीं है, ऐसा मूर्ख करते हैं। 
मैं तो *बाबा अखंडा नन्द* के चरणो में गिर पड़ा, उनके पाँव पकड़  कर उनकी सेवा में फल -फूल और वस्त्र अर्पण किये।
हटाओ यह सब यहाँ से , ये फालतू सामन दूर करो मेरी नज़रो से।
मैं परेशान हो गया, डर से दो कदम पीछे हटा। बाबा ने मेरी घबड़ाहट भाप ली और प्रेम से बोले आओ बेटा पहले मैं तुम्हारी समस्या का समाधान करूँ, तुम्हे ज्ञान प्राप्त करने का आसान मार्ग बताता हूँ। बेटा तुम 4जी मोबाइल खरीद कर अपना वाटस्प एकाउन्ट बना लो, बस इसके बाद अन्य सदस्य रूपी बाबा सुबह सुबह इतना ज्ञान बरसायेंगे कि एक दिन में ही तुम सारी उम्र का ज्ञान पा जाओगें और जिन्दगी में फिर किसी चीज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।  लग रहा था स्वामी अखंडा नंद पागल हो गया है। मोबाइल से ज्ञान ?
अखंडानंद तो अखंडानंद थे, उनको मेरे मन में चल रहे उथल-पुथल का अंदाजा हो गया।
बाबा अखंडानंद मेरा हाथ पकड़े बाहर हाल में ले गये, वहाँ मैने देखा सभी  अपने अपने मोबाइल में व्यस्त हैं। बाबा को देखते ही सभी बाबा की तरफ दौड़े और उनके पैरो में किसी ने मोबाइल चार्जर तो किसी ने मोबाइल कवर तो किसी ने टैम्पर ग्लास और डाटा पैक चढ़ाया तो किसी ने बाबा के चरणो में नया मोबाइल चढ़ाया। बाबा ने खुश होते हुए किसी को '' सदैव मोबाइल चार्ज रहे'' तो किसी को ''नेटवर्क समस्या   दूर हो'' का आशीर्वाद दिया।
बाबा अखंडा नंद ने चढ़े हुए मोबाइलों मे से एक मोबाइल देते हुए कहा '' बेटा ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय है, यह मोबाइल, इस में वाटस्प स्टाल करो फिर देखो , सुबह होते ही तुम्हारे पास ज्ञान का भंडार आ जायेगा। सारे संसार की खबरे, विवेचना देने वाले तमाम महापुरुषों से तुम्हारी मुलाकात होगी। जो पत्नी से रोज पिटते हैं वह पत्नी कसंसार के सारे ज्ञान अब हरिद्वार, संत समागम और पहाड़ों पर नहीं मिलते पुत्र।
अब तो सब कुछ वाटस्प पर ही मिलता है। मैं तो स्वामी अखंडानंद की बात सुन कर चकरा गया, मगर प्रमाण सामने था।अब मैं समझ चुका था कि बाबा  मेरे चढ़ावे पर क्यों नाराज हुए थे।
मैं श्री श्री 420 बाबख अखंडनंद को प्रणाम किया और चल दिया बाबा  के दिये मोबाइल में मनपंसद डाटा पैक कराने।


 


अखंड गहमरी


 



 


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