आज अचानक छत पर बहुत चहल पहल थी। अपार्टमेंट में ऐसा बहुत कम ही होता है। सभी छत की ओर जा रहे थे। अर्चना को भी निर्देश मिला और वो भी छत पर पहुँच गयी। मेज़ों पर सजे हुए समोसों की ख़ुश्बू हवा को भूक का एहसास करा रही थी। तभी मिठाई के डिब्बों का भी आगमन।फिर चॉकलेट का प्लेटों में सजाया जाना। दूसरी ओर कुछ लोग गुब्बारे फुला रहे थे, कुछ सजा रहे थे। दरियाँ बिछी थीं, अर्चना भी वहीं जा कर बैठ गयी। उसके पति और दोनों बेटे तो पहले से ही मौजूद थे और सजावट की टोली के सदस्य भी बन गए थे।क्या हो रहा है भई यहाँ, कुछ तो बताओ। अर्चना ने निधि से पूछा। अरे अर्चना भाभी यह तो मैं आपसे पूछने वाली थी।आपकी पड़ोसन निन्नू ने ही तो बुलाया है सब को यहाँ। आप वाक पर गई हुई थीं जिस वक़्त मैं आपके घर आपको बुलाने गयी थी। निधि ने आश्चर्य से कहा।
तभी सबने देखा कि निन्नू का बेटा माइक पर सबको उसके क़रीब आने का आग्रह कर रहा है। निन्नू के पतिदेव एक बड़े से बाँस में तिरंगा बाँधे चले आ रहे हैं।उन्होंने बाँस को छत पे लगे पाइप से बाँध दिया।सबसे छोटे बच्चे को बुला कर निन्नू ने ध्वजारोहण कराया। राष्ट्रगान हुआ और अब माइक निन्नू के हाथ में था।
उत्तम हाइट्स के साथियों, आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई। ये मेरे परिवार का एक छोटा सा प्रयास था।हम और हमारे बच्चे मिलकर होली, दीवाली, लोहड़ी, दशहरा, गणेश चतुर्थी, क्रिसमस, ईद इत्यादि सभी त्यौहार मनाते हैं, मगर अपने राष्ट्रीय पर्व को भूलते नहीं हैं तो मिलकर मनाते भी नहीं हैं।
पहले जैसे बच्चे अब स्कूल जाने की बनिस्बत इसे छुट्टी का दिन मान कर घर में सोना पसंद करते हैं।
अपनी आने वाली पीढ़ी को भी हमें वो सब देकर जाना चाहिए जो हमें मिला है, देशभक्ति देना भी हमारी ही ज़िम्मेदारी है।
आज दिन में दो बजे यहाँ पुनः उपस्थित होइएगा, बच्चों के कुछ कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ भी आयोजित हैं।आप सब सुबह-सुबह यहाँ पधारे बहुत शुक्रिया, स्वल्पाहार लेकर जाइयेगा।
अर्चना एकटक अपनी पड़ोसन को निहारती रही और मन ही मन गर्व करती रही कि वो निन्नू की पड़ोसन है।
शुचि'भवि'
भिलाई, छत्तीसगढ़
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