आइये मणिपुर-निशा

एक दिन आपका में निशा नंदिनी का लेख


अगर आपको नई नई जगहें देखने का शौक है तो आपको जीवन में एकबार मणिपुर की सैर जरुर करनी चाहिए। भारत के इस पूर्वोत्‍तर राज्‍य मणिपुर में सिरउई लिली, संगाई हिरण, लोकतक झील में तैरते द्वीप दूर-दूर तक फैली हरियाली, उदारवादी जलवायु और परंपरा का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
मणिपुर की राजधानी इम्‍फाल, जो प्राकृतिक सुंदरता और वन्‍यजीवन से घिरी हुई है। इम्‍फाल में द्वितीय विश्‍व युद्ध और कोहिमा युद्ध का उल्लेख मिलता है। यह स्‍थल यहां आने वाले पर्यटकों को मणिपुर के साथ जोड़ता है। कई लोग इस बात को सुनकर आश्‍चर्यचकित हो जाते हैं कि पोलो खेल की उत्‍पत्ति इम्‍फाल में हुई थी। इस जगह कई प्राचीन अवशेष, मंदिर और स्‍मारक हैं। श्री गोविंद जी मंदिर, कांगला पैलेस, युद्ध स्‍मारक, महिलाओं के द्वारा चलाया जाने वाले बाजार - इमा केथैल, इम्‍फाल घाटी और दो बगीचे इस जगह को पूरी तरह से पर्यटन के लायक बनाते हैं।
मणिपुर की राजधानी इम्फाल के बीचोंबीच स्थित इमा कैथेल राज्य की आंतरिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। मणिपुरी भाषा में इमा का मतलब होता है 'माँ' और 'कैथेल' का मतलब होता है बाजार। यानी महिलाओं के द्वारा चलाये जाने वाले बाजार को इमा केथैल कहा गया है। मणिपुर की आंतरिक अर्थव्यवस्था में महिलाओं का बड़ा योगदान है। जिसके कारण मणिपुर की महिलाएं अन्य भारत की महिलाओं के मुकाबले ज्यादा आत्मनिर्भर और सशक्त हैं। मणिपुर की महिलाओं की आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का ही प्रतीक है इमा कैथेल या नुपी कैथेल। 
पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाले इमा केथैल में आप हर चीज और हर वस्तु पा सकते हैं। यदि एक कोने में एक औरत एक किलो मछली तौलने में व्यस्त है। तो दूसरे कोने में कोलाहल के बीच एक औरत बुनाई करती हुई और ग्राहकों को खुश करने के लिए तुरंत के बने हुए ऊनी कपड़ों को बेचती हुई पाई जा सकती है। अगर आपको नई नई जगहें देखने का शौक है तो आपको जीवन में एकबार मणिपुर की सैर जरुर करना चाहिए।
16 वीं सदी में बना मणिपुर का इमा बाजार देश में ही नहीं संभवत: दुनिया का इकलौता ऐसा बाजार है। इमा बाजार यानी मदर्स मार्केट वर्ष 1533 में बना था। इस बाजार के बसने के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल तब पुरुषों को चावल के खेतों में काम करने भेज दिया जाता था। तब घरों में अकेली औरतें बचती थीं। धीरे-धीरे इन्हीं औरतों ने यह बाज़ार बसा दिया। पुराने मार्केट के पास ही यहां 2010 में सरकार ने नया मार्केट भी शुरू किया है।
महिलाओं के द्वारा संचालित यह बाजार अपनी एक अलग पहचान रखता है। दुनिया का शायद यह इकलौता बाजार होगा जहां सिर्फ और सिर्फ महिला दुकानदार ही हैं। यह पूरे तरीके से महिलाओं का मार्केट है। क्या नहीं मिलता है यहां , पूर्वोत्तर के खान-पान से लेकर परंपरागत और आधुनिक सामान तक सब कुछ उपलब्ध है।
इम्फाल शहर के ख्वाईरबन्द नामक इलाके में स्थित यह बाजार तीन भागों में बंटा हुआ है। पुराना बाजार, लक्ष्मी बाजार और नया बाजार के नाम से बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स में विभाजित है।
इन तीनों में अलग-अलग वस्तुएँ मिलती हैं। जैसे नया बाजार में सब्जी, मछली और फल मिलते हैं तो वहीं लक्ष्मी बाजार में परंपरागत कपड़े और अन्य घरेलू सामान। इन तीनों कॉम्प्लेक्स को मिलाकर बनता है इमा कैथेल। जिसके अंदर छोटी-छोटी पंक्ति में 15-16 दुकानें हैं। दुकानें कोई ईंट सीमेंट या टीन से बनी हुई नहीं हैं बल्कि जैसे सब्जी मंडी में होती हैं एक निश्चित स्थान कुछ-कुछ वैसा ही हैं। इस मार्केट में करीबन 3500 महिलाएं अपनी दुकानें चलाती हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां बाकी बाज़ारों की तरह प्रतिस्पर्धा नहीं की जाती है। अगर कोई सामान आपको किसी दुकान पर नहीं मिलता, या पसंद नहीं आता, तो वह स्थानीय दुकानदार महिला आपको दूसरी महिला दुकानदार तक भेज देती है। इस बाजार के कुछ नियम हैं जो इसकी खूबसूरती को और अधिक बढ़ाते है। यहां यदि कोई कपड़ा बेच रहा है तो वह कपड़ा ही बेचेगा। सब्जी या कुछ और नहीं बेच सकता। यह कोई लिखित कानून नहीं है पर इस बात का सब लोग ध्यान रखते हैं। इससे कहीं न कहीं समानता का भाव पनपता है।
इस बाजार की सबसे बड़ी खासियत है यहां का अनुशासन और अलिखित यानी बिना लिखे नियम जो कई दशकों से पालन किए जा रहे हैं। महिलाएं यहां के अलिखित नियम-कानून का पालन करने में गर्व महसूस करती हैं। इन महिलाओं को पता है कि उनकी एकता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। यहां की महिलाएं राजनीतिक रूप से जागरूक और सक्रिय हैं। वे किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने में नहीं झिझकती हैं। यह बाजार कई तरह की बहसों और चर्चाओं का केंद्र बिंदु है। यह बाजार लोगों के बीच नई जानकारियों के प्रचार-प्रसार के लिए भी कार्य करता है। इस बाजार में बैठी महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना पहले भी करना पड़ा है और वे आज भी कर रही हैं। इस बाजार की संरचना में परिवर्तन के माध्यम से इन महिलाओं को समस्याओं से बचाया जा सकता है। कुछ समय पूर्व दुनिया के एकमात्र महिलाओं के बाजार को भूकंप से नुकसान पहुंचा था। यह अति दुःखद था। इस भूकंप में पुराने जमाने के घर और बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस मार्केट को नुकसान होना अफसोस की बात थी। वहां की महिलाओं का कहना है कि भूकंप से बाजार को नुकसान होने की वजह हम लोग  कई महीनों तक इस बाजार में बैठ नहीं पाये। इस वजह से जीवन यापन में संकट पैदा हो गया था। क्योंकि यहां की कई महिलाओं के परिवारों के लिए आमदनी का एकमात्र जरिया यह मार्केट ही है। सरकार के प्रयत्नों से अब इस बाजार की स्थिति यथावत हो चुकी है।
इस तरह इमा केथैल दुनिया का एक मात्र सशक्त महिलाओं यानी माँओं का बाजार है। जिसमें सभी अच्छी और टिकाऊ वस्तुएं उचित दाम में मिलती हैं। यह हम सब महिलाओं के लिए तथा राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है।


निशा नंदिनी
तिनसुकिया, असम


9435533394


 



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