आलू का चिप्स-किरण बाला

अरे! अम्मा, एक तो बुढ़ापा दूसरा तेज धूप फिर भी  लगी हुई हो चिप्स सुखाने ! पड़ोसन ने अपनी छत से झाँकते हुए कहा | कल बहू वापिस जा रही है,छुट्टियाँ जो खत्म हो गई हैं... सोचा कुछ आलू के चिप्स बना दूँ ,अब भला शहर में कौन ये चौंचले करता है ?देख मधु , याद से बैग में रख लियो,कहीं यहीं धरे रह जाएं. सास ने बहू को चेताते हुए कहा |आज  रसोई की सफाई करते हुए मधु की नजर चिप्स के डिब्बे पर पड़ी तो उसमें जाले से उभर आए थे. एक साल से डिब्बा इस इंतजार में था कि कोई तो उसे खोलेगा... आलू के चिप्स मानो माँ की मेहनत और प्रेम का मातम मना रहे थे |


                 ----©किरण बाला 
                        (चण्डीगढ़)



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