आनलाइन कवि सम्मेलन
एक शाम तुम्हारे नाम
आयोजक -साहित्य सरोज
क्यों खफा हो तुम मुझसे,
ऐतराज करो न।
आज फिर तुम मुझे वो पहली
नजर वाला प्यार करो न।
अपने शिकवे गिले मुझसे आज फिर इक बार करो न ।
आज फिर तुम मुझे वो पहली वाला प्यार करो न ।
वो मीठी-मीठी बाते तुम फिर आज करो न।
कुछ दिलों के ऐहससा तुम फिर से आज करो न ।
आज फिर तुम मुझे वो पहले वाला प्यार करो न ।
अपने गम में मुझे भी हमराज़ करो न।
भूल जाओ सब बाते खोटी ,
आज इक नया आगाज़ करो न ।
आज फिर तुम मुझे वो पहली नज़र वाला प्यार करो न ।
आज फिर तुम मुझे अपनी बाँहों में भर लो न।
मेरे होठो पर लगा शरिब तुम फिर से आज पी लो न।
आज फिर वो पहली मुलाकात
की तरह प्यार करो न ।
आज फिर मेरे होटो को अपने होटो से छू लो न।
आज फिर तुम मुझे वो पहली नज़र वाला प्यार करो न।
खूशबू दिल्ली
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