आनलाइन कवि सम्मेलन
एक शाम तुम्हारे नाम
आयोजक -साहित्य सरोज
मां मन के मंदिर में मूरत सी खड़ी हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
भगवान का दूसरा रूप हो मां
सूरत में भी परमात्मा हो मां
पूजा का तुम वरदान रही हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
सशक्त पेड़ बन तुम हमेशा खड़ी हो
तूफान हजार आए अकेले लड़ी हो
मोल नहीं कोई अनमोल रही हो
प्रथम पूज्य मां तुम हमेशा रहीहो
कड़ी धूप में भी छाया तुम्हारी
स्वर्ण सी तपी है काया भी तुम्हारी
जितना मिला खुश उसी में रही हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
गमों को आंसुओं से धो कर पिया है
खुशी के पलों को धागे में पिरोया
गले में चंदन की माला पड़ी हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
ममता के सागर में तैरती रही में
हर प्रश्न का मेरे उत्तर रही हो
सारे तीर्थों का पुण्य हो मां तुम
चरणों में तुम्हारे तीरथ रही हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
तेरे दूध का कर्ज रहेगा सदा ही
हर रिश्ता मेरा मां के बाद यहां है
रहे हाथ सर पर हमेशा तुम्हारा
दुआ ये मेरी सदा ही रही है
मां मन के मंदिर में मूरत सी खड़ी हो
प्रथम पूज्य मां तुम सदा ही रही हो
श्रीमती नीता चतुर्वेदी विदिशा
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