आनलाइन कवि सम्मेलन
एक शाम तुम्हारे नाम
आयोजक -साहित्य सरोज
प्यार के पालने में अभी नूर था,
हाथ मेहंदी थी माथे पे सिंदूर था।
चाँद पूनम का था, और थी चाँदनी
झिलमिलाते दीये की, मैं थी रोशनी
कौनसी थी घड़ी कौन नक्षत्र था,
जाने किसने लिखा वो विरह पत्र था।
कौनसे छन्द थे,क्या अलंकार था,
कौनसे साज पर लुट गया प्यार था
एक आया था संदेश उस रात को,
छोड़ आधी गया वो,मेरी बात को।
वो तो उठ कर चला, मेरे संसार से,
देश प्यारा था उसको मेरे प्यार से।
एक अलग रंग से माँग मेरी भरी,
रक्त से थी रंगी उसने चूनर मेरी।
तोड़ कर वो गया मेरी हर आस को
करके अपनी निछावर हर इक सांस को,
जाने कैसी हुई ये मुलाकात थी,
मेरी पहली हुई आखरी रात थी।
रो रहीं राखियां गोद खाली हुई,
आज पूनम की राते भी काली हुई।
"ज्योति" जयपुर से
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