आनलाइन कवि सम्मेलन
एक शाम तुम्हारे नाम
आयोजक -साहित्य सरोज
जबसे आँचल थामा तुमने
मुझको नव संसार मिला है
उदधि बीच में जीवन नैया को
नूतन पतवार मिला है
स्पर्श तुम्हारा चन्दन -रस है
कल्पलता शशि किरण सुरस है
रोम -रोम स्वेद सम्पूरित
रस से भरा कुम्भ आपूरित
शुष्क सरोवर पड़ा रहा जो
उसमें अरुणिम कञ्ज खिला है
जब से ...........
जब तुम रहते पास -पास में
आधि -व्याधि दूर हो जाती
ज्योंही होते दूर शीघ्र ही
अंतर्ज्वाला जलने लगती
दूर न जाना प्रियतम मेरे
दिव्यौषधि का सार मिला है
जबसे ...........
तेरे नयनों की भाषा की
ज्योति हृदय -तम- हर लेती है
मन को देकर शान्ति अपरिमित
ज्योतिष्मती बना देती है
मुझे बहा लेने दो प्रियतम
प्रणय -उदधि का ज्वार मिला है
जबसे ........
डाॅ. उषा कनक पाठक
मिर्जा पुर उ.प्र.
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