आनलाइन कवि सम्मेलन में-प्रीति चौधरी बुलंदशहर

(कवि सम्मेलन "एक शाम तुम्हारे नाम" हेतु)


प्रेम स्नेह का घन सी होती हैं बेटियाँ,
स्वच्छ ,निर्मल अंतर्मन सी होती हैं बेटियाँ।


बेटियों से है घर में चहल-पहल, 
पायल की छन -छन सी होती हैं बेटियाँ।


 बेटियों से घर स्वर्ग बनता है सदा,
 पवित्र, पावन सी होती हैं बेटियाँ।


 बेटियाँ मकान को घर बनाती हैं प्रीति
 घर का आंगन सी होती है बेटियाँ।


 बेटियों के बिना घर में रौनक नहीं होती,
 मां-बाप का जीवन सी होती हैं बेटियाँ।


 ग्रीष्म ऋतु के भीषण क्षणों में,
 दुर्लभ शीतल चंदन सी होती हैं बेटियाँ।


 कुटुंब जनों में प्रेम का संचार करती हैं,
 दया, ममता का सावन सी होती हैं बेटियाँ।


  घर के उद्यान में  कोकिला सी गायें,
 सरगम, काव्य वाचन सी होती हैं बेटियाँ ।


 बेटियां शुष्क व्यवहार से मुरझा जाती हैं ,
सुगंधित मधुबन सी होती हैं बेटियाँ।


 
प्रीति चौधरी (मनोरमा)
जनपद बुलन्दशहर


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