आनलाइन कवि सम्मेलन
एक शाम तुम्हारे नाम
आयोजक -साहित्य सरोज
हाल किसको मैं अपना सुनाऊं कहे।
मुस्कुराते हैं, हम दर्द ही दर्द में,
दिल रोता रहा , हम तडपते रहे।
जब बहकता हू मै, दर्द ही दर्द मे ।।
रास आने लगी मुझको तनहाइयां।
ना चैन आता, ना नींद आती
कुछ कहता नहीं बोल सकता हूं मैं।
आंसू बहता है अब , दर्द ही दर्द में।
किसी के चाह में, किसी के बाह में
हमको मिलती सजा, दिल लुटा कर कही।
कहे कैसे मै काटू, बची जिन्दगी ।
मौत आती नही, दर्द ही दर्द मे ।
गम को कैसे भुलाउ ना, भुले कभी ।
आज मीट ही गयी सारी खुशिया ।
गर आते अजनबी कभी सामने ।
लिख जाते गजल, दर्द ही दर्द मे।
उपेंद्र अजनबी सेवराई गाजीपुर( उ प्र)
मोबाइल - 7985797683
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