वाह रे नीच,अधर्मियों खूब
नफरत की आंधी चलाई है,
खिले हुए गुल गुलशन को
कैसी जहरीली फिज़ा बनाई है।
मंदिर सुने,बगिया सुनी
हर महफ़िल सुनी कर डाली है,
बुन रहा था भविष्य जहां बचपन
वो विद्यालय भी पड़े खाली है।
अपनों से ही अपने बिछड़े हुए
गरीबों की जेबें हुई खाली है,
सब डरे सहमे बैठे है घर में
ये कैसी बेबसी कर डाली है।
हमने पनाह दी,शाखो पर तुमको
पर दिल तो तुम्हारा जाली है,
मिली तुम्हे पनाह जिस छांव में
जड़े उसकी खोखली कर डाली है
कितना भी तुम जोर लगाओ
हर वार तुम्हारा यहां खाली है
जीतेंगे हम, हर युद्ध की बाजी
हर हिन्दुस्तानी ने अब ये ठानी है।
प्रियंका गौड
जयुपर
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