हाय असाध्य बीमारी से जीवन हुआ बहुत हलकान,
देश विदेशों में हाहाकार मुरझाया जीवन उद्यान।
नभ में पँछी ,वन में जीव करते हैं स्वतंत्र विचरण,
लक्ष्मण रेखा से निज गृह में कैद होकर रह गया इंसान।
विद्यालय, पार्क,मंदिर सब खाली हुए चहलकदमी से,
सभी सार्वजनिक स्थल हुए बहुत नीरव,सुनसान।
रुग्ण हुआ जीवन जन-जन का गम्भीर वायरस से,
असहाय,एकांकी मानव हुआ अत्यधिक परेशान।
मामूली सर्दी ज़ुकाम भी प्रतीत होता है भयावह,
रोगग्रस्त आज का यह समय, करता हमें हैरान।
प्रकृति का दोहन किया हम सबने जी भरके,
अब बदला ले रही है प्रकृति और भगवान।
प्रीति चौधरी( मनोरमा)
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
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