सोचता हूं सिलसिला यह प्यार का
तुमसे जो मैंने किया ना होता
जुदाई का यह दर्द अपने दिल को
यूं इस कदर मैंने दिया ना होता
दुआ करता हूं कि भूल जाऊं
तेरे हर एक एहसास को
पर कमबख्त दिल ने भुला दिया सबको
बस याद रखा तेरी बेवफाई को
सो भी जाएं अगर मौत की बाहों में
हम कभी यदि तुम्हारी गली
तो देख लेना जनाजे को हमारे
उठाकर एक नजर प्यार भरी
खुशी से जिंदगी अपनी हम भी
काट रहे होते आज कहीं
अंजाम इश्क का सोचा होता
इश्क करने से पहले यदि
बादलों के भी बन रहे हैं चेहरे
तेरे जैसे आसमान में कहीं कहीं
फिजाओं में भी खुशबू तेरे एहसास की
फैल रही है चारों तरफ यहीं कहीं
आकर मेरे शहर में कर दो बरसात
बस तुम अपने हुस्न की
जिस गली से भी तुम गुजरो
तैयारी शुरू हो जाए वही जश्न्न की
कहानी मेरे इश्क की बहुत मशहूर हो गई
नाम तो मिल गया कि दीवाना हूं मैं
बदले में तो मुझसे दूर हो गयी
नाम संगीता शर्मा मेरठ
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