एक दिन आपका में रेखा की कहानी
रोहित को अचानक अपने ही नर्सिग होम मे देख रीना का दिल भर आया ये तो अच्छा था रोहित ने उसे नहीं देखा था। रोहित बेतहाशा दौड़कर वार्ड नंबर पांच मे चला गया।कल ही तो रीना ने भामिनी की बेटी की डिलीवरी कराई थी। माँ-बेटी दोनो ठीक थे पर माता को कैसर था वह ज्यादा दिन जी नही पायेगी वह भी जान गयीं थी लेकिन ये रोहित की आखिर कौन है ? सरनेम तो अग्निहोत्री रोहित का ही है ? अपने मे खोई वह अपने कैबिन में बैठी थी ।विचारो के अतीत में वह खो गयी कितना प्यार था रोहित और उसका मैं डाॅक्टर और वह इन्जीनियर बहुत सहृदय और हंसी-मजाक कर उसे सदैव खुश रखता था वह ।जो बात बोल दिया उस संकल्प पर अडिग रहता था फिर दुनिया उसे डिगा नहीं पाती थी।शादी का भी उसने उसे वादा किया था लेकिन जब घर गया तो शादी किसी से करके आया।मैने कितना भला-बुरा कहा था रोहित को वह चुप था लेकिन उसकी ऑखे कुछ बेबसी कहकर भी बेकसूर सी लगती थी मुझे उस वक्त लेकिन मुझे क्या मैने उसकी कुछ ना सुनी थी और सदैव के लिये कनेक्शन तोड आ गयी थी।फिर मैने भी अपनी डिस्पेसरी डाल ली ।मन खटटा था सो प्यार के बारे मे सोचने का मन नही किया बस घर डिस्पेसरी में व्यस्तता बना लिया।अचानक जोर से दरवाजा खुला सामने रोहित था उसे देखकर वह भी हतप्रभ रह गया लेकिन रोहित अपने को रोक ना पाया गले लगकर रो ही पडा बडी मुश्किल से उसने उसे चुप कराया ।
रोहित ने कहा--जब रीना मै शादी की बात करने घर गया तो मेरे बचपन की मित्र जो मेरी पड़ोसन थी उसकी मम्मी मेरे पास आयी बोली बेटा तुझसे एक बात कहनी है उसने कहा भामिनी को ब्लड कैसर है वह दो साल से ज्यादा जिन्दा नही रहेगी वह तुम्हे बचपन से मन से प्यार करती है बस इजहार कभी नहीं कर पायी।बेटा उसे पति का सुख दे दो कुछ साल बाद तुम स्वतंत्र हो ही जाओगे। मैने भी भामिनी की कंडीशन देखी बचपन के दिन दिखने लगे उसे मुझसे प्यार था ये मै समझता था लेकिन मैने उससे कभी प्यार नहीं किया था सो मै तटस्थ रहकर जाना अनजाना बनकर रहता था।लेकिन उसका प्यार जीत गया मैने मरते हुये अपने दोस्ती की अंतिम इच्छा भगवान की है समझ कर स्वीकार किया मै तुम्हारा दोषी हूँ रीना मुझे तुम जो सजा दोगी स्वीकार है।भामिनी के जाने के बाद मै आजीवन किसी से शादी नहीं करूंगा और इस बेटी को देख जी लूँगा।
रीना समझदार थी रोहित को भुला भी नहीं पाती थी।उसने उसका हाथ पकडा और भामिनी के पास ले गयी उसकी बेटी को
गोदी में उठाकर बोली भामिनी ये तुम्हारी बेटी का नाम हम भानु रखते है जिसने हमें हमारे प्यार से पुनः मिलवाया ।
तुम चिन्ता नहीं करना बहन जब तक मै इस दुनिया मे हूँ इसे यशोदा माता बनकर प्यार दूँ गी। सभी की ऑखे भर आयी भामिनी ने अपना मंगल सूत्र रीना को पहना दिया बोली अब जिन्दगी और मौत दोनो मेरे करीब है लेकिन मै बहुत खुशकिस्मत हूँ कि हमारे रिश्ते का इस प्रकार अनोखा मिलन हो रहा है ।हमारे ये अनोखे रिश्ते दुनिया में सबके लिये प्रेरणा बने।कुछ महीने बाद भामिनी मर गयीं। लेकिन भानु को पाकर रीना बहुत खुश थी ।
उसका भी एक बेटा हुऑ वह इन्जीनियर बना रोहित जैसे और भानु उसके जैसे डाॅकटर बनी आज भानु का हाॅस्पीटल का उद्घाटन है वह चाइल्ड स्पेशलिस्ट है।अचानक भानु ने नवजात शिशु रीना के हाथ रख दिया --रीना आवाक सी देख रही थी ये क्या है।भानु ने कहा--मम्मी किसी का बच्चा है नाली में फेंक दिया था भीड थी मैने देखा उठा लिया चाइल्ड स्पेशलिष्ट हूँ इसे मै पालूगी मरियम माता बनकर और इसका नाम भामिनी रंखू गी।
रीना सोचती ही रह गयी अनोखे रिश्ते भगवान कैसे बनाकर सदैव ऊसके घर ऑगन को महका रहा है ।रोहित की ऑखे भर आयी थी खुशी के मारे और रीना ने प्यार से रोहित का हाथ दबाया और कहा जागिये ये आप सपना नहीं देख रहे है।भामिनी आई है चलिये उसे गोदी मे उठा लीजिये घर ले चलिये ।दोनों खिलखिला पडे। सुखद ऑन्नद से दोनो भर उठे थे।
रेखा तिवारी बिलासपुर छत्तसीगढ़
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