अनुभा की लघुकथा

एक दिन आपका के तहत प्रकाशित लधुकथा हरिया का गॉंव


अंबागढ़ में एक दंपति बहुत प्यार से अपनी गुजर बसर कर रहे थे,लेकिन उनकी आँगन में बच्चे की किलकारी नहीं थी,वे दोनों एक दूसरे को हो अपना बच्चा मान कर अपने मन को संतावना देते थे। काफी दिनों के बाद उसके घर एक बेटी ने जन्म लिया,लोगो ने कहा हरिया तू तो धन्य हो गया तेरे घर लक्षमी ने जन्म लिया ,बेटी के जन्म ने तो मानो ख़ुशी का ठिकाना न रहा लेकिन तभी कुछ बुरे लोगो की संगति ने हरिया को कुराचारि बना दिया,ओ दरिंदगी की हदे पार करता गया।
 इधर उसकी बेटी शारदा (जैसा नाम वैसा विचार )एकाग्रचित होकर पढाई करते हुए अपने क्लास में अव्वल आती गई एक दिन हरिया प्रतिदिन की तरह अपने बुरे दोस्तों के साथ बुरे लत का सोपान कर रहा था तभी उसे लाउडस्पीकर की आवाज उसके कानो में पड़ी की आम्बागढ़ के हरिया की बेटी शारदा  बोर्ड की परीक्षा में न अपने स्कूल बल्कि पुरे जिले में टॉप कर अपने बाप का नाम रौशन किया।  ये सुनते ही हरिया के आँखो में आँसू बहने लगे और उसी वक्त से हरिया ने ये संकल्प लिया मैं आज से अपनी सारी बूराइयो को दूर भगाउँगा..आज हरिया का गाँव में यही नारा हैं-"बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ का नारा जन-जन में हैं पहुँचाना"


अनुभा पटना


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